Ashish Kumar Nag

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एक आदमी था… जिसने खुद को कहा — "मैं मसीह का अंतिम भविष्यवक्ता हूँ…" "मैं ही एलियाह हूँ…" "यीशु की दूसरी आमद मेरे द्वारा हुई है…" उसका नाम था **William Marrion Branham**। लेकिन उसने परमेश्वर के वचन में **अपनी बातें जोड़ दीं**। उसने लोगों को सिखाया कि *वह ही अंतिम दूत है, सातवीं मुहर का रहस्य उसी पर प्रकट हुआ है*, और उसने खुद को **बाइबल की भविष्यवाणी की पूर्ति** बताया। पर परमेश्वर के वचन में यह स्पष्ट लिखा है कि जो वचन में जोड़ता है — वह **विपत्ति** को न्योता देता है। **18 दिसंबर 1965** — ब्रानहम टेक्सास से लौटते समय एक **शराबी ड्राइवर** की टक्कर से दुर्घटनाग्रस्त हुए। उनके शरीर की कई हड्डियाँ टूट गईं — पसलियाँ, कंधा और पैर। **24 दिसंबर 1965**, **क्रिसमस ईव** की रात — उन्होंने अस्पताल में दम तोड़ दिया। क्या यह सिर्फ एक दुर्घटना थी? या परमेश्वर का न्याय, जो उसने पहले ही अपने वचन में घोषित किया था? परमेश्वर का वचन कहता है: **जो उसका वचन बिगाड़ता है — उस पर विपत्तियाँ आएँगी।** और जो झूठा सुसमाचार प्रचार करता है — वह **शापित** कहलाएगा। झूठे भविष्यवक्ताओं का अंत — चाहे वे चमत्कार ही क्यों न करें — **मृत्यु** और **नाश** है। इसलिए — **वचन को जैसा है वैसा ही स्वीकार करो, क्योंकि उसी में जीवन है।** ---

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میرے رب کی رحمت میری زندگی کا سہارا ہے۔ وہ میری ہر مشکل میں میرا ساتھ دیتا ہے اور میری راہ کو روشن کرتا ہے۔ میں اس کی حفاظت میں محفوظ ہوں اور اس کی عنایت پر شکرگزار ہوں۔