描述
आरव मल्होत्रा – एक तेज़-तर्रार क्राइम जर्नलिस्ट, जो सच की परतें उधेड़ने में माहिर है। 2. डॉ. रिद्धिमा राय – एक साइकियाट्रिस्ट, जिनके अतीत में कुछ गहरे राज़ छिपे हैं। 3. ACP करण मेहरा – ईमानदार पुलिस अफसर, जो हर कीमत पर न्याय चाहता है। 4. विक्रम खुराना – एक अमीर बिजनेसमैन, जिसकी बेटी की रहस्यमयी मौत हो चुकी है। 5. अनाया खुराना – विक्रम की बेटी, जिसकी आत्महत्या ने कहानी की शुरुआत की। कहानी की शुरुआत: मुंबई के एक पॉश इलाके में, अनाया खुराना की आत्महत्या से शहर हिल जाता है। वह विक्रम खुराना की बेटी थी – एक नामी कारोबारी। पुलिस इसे आत्महत्या मानती है, लेकिन ACP करण मेहरा को शक है। आरव मल्होत्रा इस केस को कवर करने आता है, लेकिन उसे भी लगता है कि कहानी में कुछ तो गड़बड़ है। अनाया की मौत से कुछ दिन पहले उसने एक मेल किया था, जिसमें लिखा था, "अगर मुझे कुछ हो जाए तो समझना, यह आत्महत्या नहीं है।" कहानी की परतें खुलने लगती हैं: जैसे-जैसे आरव और करण जांच में आगे बढ़ते हैं, उन्हें कुछ चौकाने वाले तथ्य मिलते हैं: अनाया की थेरेपी डॉ. रिद्धिमा राय के पास चल रही थी। रिद्धिमा का खुद का एक अतीत है – 10 साल पहले उनकी बहन सिया भी एक रहस्यमयी हादसे में मारी गई थी। विक्रम खुराना और डॉ. रिद्धिमा के बीच पुराने रिश्ते रहे हैं, जिन्हें उन्होंने छिपाया हुआ था। आरव धीरे-धीरे अनाया की डायरी और रिद्धिमा के केस फाइल्स से यह समझता है कि अनाया को ब्लैकमेल किया जा रहा था। ट्विस्ट: जांच में पता चलता है कि अनाया के पास उसकी सौतेली माँ मेघा खुराना के खिलाफ एक बड़ा सबूत था। मेघा असल में विक्रम की संपत्ति हड़पना चाहती थी और अनाया उसके रास्ते में आ गई थी। पर ACP करण को जब सबूत मिलते हैं, तभी वो एक CCTV फुटेज देखता है जिसमें डॉ. रिद्धिमा को अनाया के फ्लैट में घुसते देखा जाता है – मौत की रात। क्लाइमेक्स: करण, आरव और पुलिस रिद्धिमा को हिरासत में लेते हैं। वहां रिद्धिमा अपना जुर्म कबूल करती हैं, लेकिन एक शर्त पर – "पूरी कहानी सुनो, फिर फैसला करना।" रिद्धिमा बताती हैं: > “अनाया मेरी बहन जैसी थी। उसने मुझे बताया था कि उसकी माँ की मौत एक्सीडेंट में नहीं, बल्कि मेघा ने मारी थी। अनाया को जान से मारने की धमकी मिल रही थी। मैं उसे बचाने गई थी, पर बहुत देर हो चुकी थी। लेकिन मैं जानती थी मेघा कुछ बड़ा प्लान कर रही है।” रिद्धिमा ने मेघा को ट्रैक किया और पुलिस को सूचना दी। पुलिस रेड करती है और मेघा को गिरफ्तार कर लिया जाता है। वहाँ से कई नकली दस्तावेज़, अनाया की ब्लैकमेलिंग की वीडियो, और रिद्धिमा के खिलाफ फर्जी सबूत मिलते हैं। --- अंतिम मोड़: लेकिन जब सब खत्म हो चुका लगता है, आरव को अनाया की एक वीडियो मिलती है – मरने से कुछ घंटे पहले की। उसमें वह कहती है: > "अगर मुझे कुछ हो गया तो डॉ. रिद्धिमा को माफ मत करना... वो सब जानती हैं, लेकिन चुप रहीं।" अब सवाल ये है — क्या रिद्धिमा अपराधी हैं या सिर्फ चुप रहने की गुनहगार अंत: डॉ. रिद्धिमा को कोर्ट दोषी नहीं मानता, लेकिन नैतिक रूप से दोषी ठहराता है। आरव उस पर एक रिपोर्ट लिखता है जिसका शीर्षक होता है: "साया – जब सच्चाई का साया भी अधूरा होता